bandipur national park : दक्षिण एशिया में जंगली हाथियों का सबसे बड़ा निवास स्थान
दोस्तों भारत में अन्य देशों के मुकाबले पर्यटन स्थलों की कोई कमी नहीं हैं, और हमारे देश में पर्यटकों की संख्या भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं, तो आइए जानते है bandipur national park के बारे में जिसे हर कोई जानना चाहता हैं, लेकिन उसके बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते, तो जानने के लिए इस लेख को पुरा पढ़े, तो चलिए जानते हैं।
bandipur national park बांदीपुर नेशल पार्क और टाइगर रिजर्व
कर्नाटक के चामराजनगर जिले के गुंडुलपेट तालुक में स्थित बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान के बारे में कौन नहीं जानता होगा। यह हमारे भारत में बाघों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाली जगह है। ये भारत में सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र और दक्षिण एशिया में जंगली हाथियों का सबसे बड़ा निवास स्थान कहलाता हैं। यह टाइगर रिजर्व कर्नाटक और तमिलनाडु दोनों ही राज्यों की सीमा के अन्दर स्थित हैं।
874.2 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान उत्तर पश्चिम में राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान (नागरहोल) द्वारा, दक्षिण में तमिलनाडु के मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य द्वारा और दक्षिण पश्चिम में केरल के वायनाड वन्यजीव अभयारण्य द्वारा घिरा हुआ है। यह सब साथ मिलकर नीलगिरी बायोस्फीयर रिज़र्व बनाते हैं।
बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास
सन् 1931 में मैसूर राज्य के महाराजा ने 90 वर्ग मील (35 वर्ग मील) का एक अभयारण्य बनाया और उनके नाम पर वेणुगोपाल उद्यान रखा गया। सन् 1973 में वेणुगोपाल प्रोजेक्ट टाइगर के तहत लगभग 800 वर्ग किमी (310 वर्ग मील) समग्र बांदीपुर टाइगर रिजर्व स्थापित किया गया था। इतिहासकारो के मतानुसार कहा जाता हैं,कि किसी जमाने में यह क्षेत्र राजाओं का शिकार गाह हुआ करता था। फिर सालों बाद इसे नेशनल पार्क के रूप में विकसित किया गया, और सन 1973 में इस राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया।
बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान टाइगर रिज़र्व हमारे देश के सबसे ख़ास जैवविविधता क्षेत्रों में से एक में स्थित हैं।
यह विभिन्न पुष्प प्रजातियों और जैवविविधता से संपन्न क्षेत्र और देश के मेगा जैवविविधता क्षेत्रों के रूप में पहचाना भी जाता हैं।
बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान का उद्देश्य
हम जानते हैं, कि बिना किसी ख़ास वजह से किसी भी की स्थापना नही की जा सकती हैं, तो हमारे देश की बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान का उद्देश्य प्राकृतिक पर्यावरण संरक्षण के लिए इन क्षेत्रों का निर्माण व स्थापना भारत सरकार के द्वारा किया जाता हैं। राष्ट्रीय उद्यान का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र के प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करना और जैव विविधता का संरक्षण करना होता हैं। हमारे भारत देश में अब तक में राष्ट्रीय उद्यानों की संख्या लगभग 106 हैं।
इस रिज़र्व की शुरुआत 1973 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा बाघों की आबादी में गिरावट को रोकने के उद्देश्य से की गई थी। शुरुआत में, जब प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया था तब बांदीपुर में 12 बाघ थे, सुरक्षा उपायों के परिणामस्वरूप, वर्तमान में इस क्षेत्र में 173 बाघ हैं।
क्या-क्या देखने को मिल सकता हैं।
भारत अपने पर्यटनो के लिए जाना जाता है और किसी भी विदेशी पर्यटन स्थल से कम नहीं हैं, इस टाइगर रिजर्व की आधी सीमा तमिलनाडु और आधी सीमा कर्नाटक में आती है। इस राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व में टूरिस्ट कई तरह की विलुप्त हो रही वनस्पतियों और वन्यजीवों को बेहद करीब से देख सकते हैं।
bandipur national park में आपको लुप्त हों रही पशु- पक्षी ,व पेड़- पौधे, और जीव – जन्तु से लेकर खरतनाक पशु जैसे, कि बाघ, भारतीय हाथी, तेंदुआ, ढोले, सांभर, चीतल और भी कई जानवर और पक्षी बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान में आप देख सकते हैं।
इसे पक्षी प्रेमियों का स्वर्ग कहा जाता हैं। यहाँ पक्षियों की कुल 200 से भी ज्यादा प्रजातियाँ आप देख सकते हो। bandipur national park में बाघ , शेर जैसे खतरनाक जानवरों से लेकर पशु- पक्षियों और पेड़-पौधों की बहुत सी प्रजातियां देखने को मिल जाती हैं।
इसे भी देखे :
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- Tiger : जंगल का अदृश्य साहसी सेनापति
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बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध क्या है?
सभी राष्ट्रीय उद्यानों में कुछ ना कुछ की प्रसिद्धि जरूर होती है, जिसकी वजह से उसकी खुबसूरती वह उद्देश्य को पूरा करने में योगदान मिलता हैं। bandipur national park को एशियाई हाथियों का घर कहा जाता है। यह आप बड़े पैमाने पर एशियाई हाथियों को देख सकते है। इसके साथ ही इसे पक्षी प्रेमियों का भी पसंदीदा पार्क भी कहा जाता है। इन सब के अलावा बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान में सबसे ज्यादा प्रसिद्धि में भारतीय हाथी, चीतल, संभल , और बंगाल टाइगर का योगदान हैं।
बांदीपुर किस प्रकार का वन है?
इसके उत्तर-पश्चिमी किनारे की ओर, वनस्पति में खुले शुष्क पर्णपाती वन से उष्णकटिबंधीय मिश्रित पर्णपाती वन की ओर धीरे-धीरे बदलाव हो रहा है। ये विविध आवास, बदले में, वनस्पतियों और जीवों की विशाल विविधता का समर्थन करते हैं। प्री-मानसून बारिश की शुरुआत के साथ, बांदीपुर अपनी पूरी महिमा में प्रकट होना शुरू हो जाता है। यह आवासों की श्रृंखला विभिन्न प्रकार के जीवों को सहारा देने में सहायता प्रदान करती हैं। यह उत्तर दिशा में काबिनी नदी और दक्षिण में मोयार से घिरा हुआ हैं। नुगु नदी पार्क से होकर बहती है।
बांदीपुर नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व से जुड़ी कुछ रोचक बातें
- बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, जो पिछले अनुमान के अनुसार 1100 से अधिक हाथियों का घर है।
- यहाँ बाघ, तेंदुआ, हाथी (भारतीय हाथी), गौर, भालू, ढोल, सांबर, चीतल, काकड़, भारतीय चित्तीदार मूषक मृग तथा लोरिस पाये जाते हैं।
- वर्तमान में बांदीपुर टाइगर रिजर्व क्षेत्र में 173 बाघ हैं।
- 1 अप्रैल, 2023 को प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व के रूप में इसने 50 साल पूरे किए हैं।
- यह पार्क उत्तर में काबिनी नदी और दक्षिण में मोयार नदी के बीच स्थित है।
- टिकट बांदीपुर टाइगर रिजर्व गेट से लगभग 2 किमी पहले स्थित बांदीपुर सफारी रिसेप्शन सेंटर कार्यालय में जारी किए जाते हैं।
- बांदीपुर टाइगर रिज़र्व मैसूर हाथी रिज़र्व का हिस्सा है और देश के पहले बायोस्फीयर रिज़र्व नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
बाहरी कड़ी :