हाथी : प्राकृतिक साहस और बुद्धिमता का प्रतीक

हाथी : प्राकृतिक साहस और बुद्धिमता का प्रतीक

हाथी जमीन पर रहने वाला एक विशाल आकार का जानवर है। आज हाथी ज़मीन का सबसे बड़ा जीव है। एशियाई सभ्यताओं में हाथियों को बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है और अपनी स्मरण शक्ति तथा बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ उनकी बुद्धिमानी डॉल्फ़िन तथा वनमानुषों के बराबर मानी जाती है।

हाथियों का जीवन शैली

हाथी का गर्भ काल 22 महीनों का होता है, जो कि ज़मीनी जीवों में सबसे लम्बा है। जन्म के समय हाथी का बच्चा क़रीब 104 किलो का होता है। हाथी अमूमन 50 से 70 वर्ष तक जीवित रहता है, हालाँकि सबसे दीर्घायु हाथी 82 वर्ष का दर्ज किया गया है। आज तक का दर्ज किया गया सबसे विशाल हाथी सन् 1955 ई॰ में अंगोला में मारा गया था। इस नर का वज़न लगभग 10,900 किलो था और कन्धे तक की ऊँचाई 3.96 मी॰ थी जो कि एक सामान्य अफ़्रीकी हाथी से लगभग एक मीटर ज़्यादा है। इतिहास के सबसे छोटे हाथी यूनान के क्रीट द्वीप में पाये जाते थे और गाय के बछड़े अथवा सूअर के आकार के होते थे।

गीली मिट्टी में लोटना हाथियों की दिनचर्या का एक अभिन्न अंग होता है। न केवल लोटना सामाजिकरण के लिए अहम है बल्कि मिट्टी धूपरोधक का काम भी करती है और उसकी त्वचा को पराबैंगनी किरणों से बचाती है। पर्यवेक्षण से पता चला है कि हाथियों का कोई प्राकृतिक परभक्षी नहीं होता है, हालाँकि सिंह का समूह शावक या कमज़ोर जीव का शिकार करते देखा गया है। अब यह मनुष्य की दखल तथा अवैध शिकार के कारण संकट में है।

हाथी का शारीरिक बनावट

हाथियों को बोलचाल की भाषा में हाथी कहा जाता है, जिसका अर्थ मोटी चमड़ी के जानवरों से है। एक हाथी कि त्वचा 2.5 सेंटीमीटर तक मोटी होती है। इसके शरीर का अधिकांश भाग अत्यंत कठोर होता है। हालाँकि, मुंह और कान के भीतर के चारों ओर त्वचा काफ़ी पतली होती है। आम तौर पर, एक एशियाई हाथी की त्वचा में अपने अफ्रीकी रिश्तेदार से अधिक बाल होते हैं।

हाथियाँ यों तो स्लेटी रंग के होते हैं, लेकिन अफ़्रीकी हाथी अलग-अलग रंग की मिट्टी में लोटकर लाल या भूरे रंग के प्रतीत होते हैं। हाथियों की त्वचा कठोर होने के बावजूद संवेदनशील होती है। बड़े नर अमूमन 5000 कि॰ वज़नी होते हैं लेकिन श्रीलंकाई हाथी जितने ही ऊँचे होते हैं।सुमात्राई हाथियों की रंजकता अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में कम क्षीण होती है तथा सिर्फ़ कानों पर ग़ुलाबी धब्बे होते हैं। हाथियों की आंखें छोटी होती हैं, सिर और गर्दन की स्थिति और आकार के कारण, उनकी परिधीय दृष्टि सीमित होती है। केवल 25 फीट की रेंज के साथ उनकी दृष्टि कमजोर होती है।

हाथी

सूंड हाथी की नाक और उसके ऊपरी होंठ की संधि है, और लंबी हो जाने के कारण यह हाथियों का सबसे महत्वपूर्ण तथा कार्यकुशल अंग बन गई है। अफ़्रीकी हाथियों की सूंड के छोर में दो अँगुलिनुमा उभार होते हैं, जबकि एशियाई हाथियों में केवल एक ही उभार होता है। एक तरफ़ तो हाथी की सूंड इतनी संवेदनशील होती है कि घास का एक तिनका भी उठा लेती है तो दूसरी तरफ़ इतनी मज़बूत भी होती है कि पेड़ की टहनियाँ भी उखाड़ ले। हाथी पहले अपनी सूंड में एक बार में करीब 14 लीटर पानी खींच लेता है और फिर उसे अपने मुँह में उड़ेल देता है। नहाने के लिए भी हाथियाँ इसी विधि का इस्तेमाल करता है।

अन्य स्तनपाइयों की तुलना में हाथी के दाँतों की रचना बिल्कुल अलग होती है। पूरी उम्र भर उनके 28 दाँत होते हैं। हाथीदाँत हाथियों के जीवनकाल में निरन्तर बढ़ते रहते हैं। एक वयस्क नर के हाथीदाँत लगभग एक वर्ष में 18 से॰मी॰ की दर से बढ़ते रहते हैं। अफ़्रीकी हाथी, एशियाई हाथियों से कई प्रकार से भिन्न होते हैं, जिनमें सबसे स्पष्ट उनके बड़े कान होते हैं। अफ़्रीकी हाथी एशियाई हाथियों से आकार में बड़े होते हैं और उनकी अवतल पीठ होती है। अफ़्रीकी हाथियों में नर और मादा दोनों के हाथीदांत होते हैं और उनकी त्वचा में बाल भी कम होते हैं।

हाथियों के पैरों कि बनावट मोटे स्तंभों या खंभों के समान होती है। हाथियों को अपनी सीधी टाँगों और बड़े गद्देदार पैरों की वजह से खड़े रहने में मांसपेशियों से कम शक्ति की आवश्यकता होती है। इसी कारण, हाथियाँ बिना थके बहुत लंबे समय तक खड़े रह सकते हैं। वास्तव में, अफ़्रीकी हाथियों को शायद ही कभी लेटे हुए देखा जाता हो, सामान्यत: वे बीमार या घायल होने पर ही लेटते है। इसके विपरीत एशियाई हाथियाँ अक्सर लेटना पसन्द करते हैं। हाथियों के पैर लगभग गोल होते हैं।

अफ़्रीकी हाथियों के प्रत्येक पिछले पैर पर तीन नाखून और प्रत्येक सामने के पैर पर चार नाखून होते हैं। भारतीय हाथियों के प्रत्येक पिछले पैर पर चार नाखून और प्रत्येक सामने के पैर पर पाँच नाखून होते हैं।

हाथियों का आहार

हाथियों का खाना मौसम और उनकी आदत पर निर्भर करता है। वैसे आमतौर पर हाथियां पत्ते, टहनियां, छाल, जड़, फल, फूल आदि खाते हैं. यहां तक के जब मौसम में नमी कम होती है, तो लकड़ी वाला भाग भी खाने की कोशिश करते हैं. कभी-कभी तो ये पूरा पेड़ खाने की कोशिश करते हैं। लेकिन हां, यह तय है कि हाथी हमेशा शाकाहारी भोजन ही करता है। भारत में पाए जाने वाले पालतू हाथियां रोटी भी खा लेते हैं। इसके अलावा, हाथियों के भोजन में गन्ना, भूसा और केले आदि भी शामिल हैं।

हाथियाँ स्वाभाविक रूप से शुद्ध शाकाहारी होते हैं यानी ये पौधे, झाड़ियां, फल आदि ही खाते हैं। विशाल शरीर होने के कारण, इन्हे पोषण के लिए खाना भी अधिक ही चाहिए होता है। WWF के अनुसार, हाथियों को रोजाना औसतन 150 किलोग्राम खाने की जरूरत होती है। अधिक भूखा होने के स्थिति में यह इसकी दोगुनी मात्रा में भी खा सकता है।

हाथी एक दिन में करीब 45-50 लीटर पानी पी जाता है। पत्तों और झाड़ियों पर निर्भर रहने वाले हाथी भोजन और पानी की तलाश में रोजाना 10 से 20 किमी आसानी से चल जाते हैं। नामीबिया की एक रिपोर्ट तो यहां तक भी कहती है कि वहां भोजन और पानी की तलाश में हाथियाँ 100 किमी तक चले जाते हैं। हाथियों के दिन का ज्यादातर समय खाने में ही जाता है।

हाथियों का निवास

भारतीय हाथियाँ झाड़ीदार जंगलों के पास रहते हैं, पर इनकी रिहायिश अन्य जगहों पर भी हो सकती है। ये स्वभाव से खानाबदोशी होते हैं और एक स्थान पर कुछ दिनों से ज़्यादा नहीं रहते हैं। अमूमन, सवाना हाथियाँ घास के खुले मैदानों, दलदल और झील के किनारे पाये जाते हैं। यह सवाना के पूरे क्षेत्र में पाये जाते है जो कि सहारा के दक्षिण में है।

हाथियों का वर्गीकरण

हाथी जमीन पर रहने वाला सबसे विशाल स्तनपायी है। यह एलिफैन्टिडी कुल और प्रोबोसीडिया गण का प्राणी है। आज एलिफैन्टिडी कुल में केवल दो प्रजातियाँ जीवित हैं, ऍलिफ़स तथा लॉक्सोडॉण्टा। तीसरी प्रजाति मैमथ विलुप्त हो चुकी है। जीवित दो प्रजातियों की तीन जातियाँ पहचानी जाती हैं।

लॉक्सोडॉण्टा प्रजाति की दो जातियाँ – अफ़्रीकी खुले मैदानों का हाथी और ऍलिफ़स जाति का भारतीय या एशियाई हाथी। हालाँकि कुछ शोधकर्ता दोनों अफ़्रीकी जातियों को एक ही मानते हैं, अन्य मानते हैं कि पश्चिमी अफ़्रीका का हाथी चौथी जाति है। ऍलिफ़ॅन्टिडी की बाकी सारी जातियाँ और प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं। अधिकतम तो पिछले हिमयुग में ही विलुप्त हो गई थीं, हालाँकि मैमथ का बौना स्वरूप सन् 2000 ई.पू. तक जीवित रहा।

अफ़्रीकी हाथी प्रजाति में दो या तीन जीवित जातियाँ हैं, जबकि एशियाई हाथी प्रजाति के अंतर्गत केवल एशियाई हाथी ही जीवित जाति है, लेकिन इसे तीन या चार उपजातियों में विभाजित किया जा सकता है। अफ़्रीकी तथा एशियाई हाथी समान पूर्वज से क़रीब 76 लाख वर्ष पूर्व विभाजित हो गये थे।

अफ्रीकी हाथी

ऐसे हाथियाँ जो लॉक्सोडॉण्टा प्रजाति के अंतर्गत आते हैं जो सामूहिक रूप से अफ़्रीकी हाथी कहलाते हैं, इस समय 37 अफ़्रीकी देशों में पाया जाता है। अफ़्रीकी हाथियाँ परंपरागत रूप से एक जाति के अंतर्गत दो उपजातियों में विभाजित किया गया है:- सवाना का हाथी या अफ़्रीकी बुश हाथी तथा अफ़्रीकी जंगली हाथी, लेकिन हाल के डी एन ए परीक्षण बताते हैं कि वास्तव में यह दो अलग जातियाँ हो सकती हैं। लेकिन सभी विशेषज्ञों द्वारा यह तर्क मान्य नहीं है। अफ़्रीकी हाथी की एक तीसरी जाति भी प्रस्तावित की गई है जिसे पश्चिमी हाथी की संज्ञा दी गई है।

अफ़्रीकी हाथियाँ, एशियाई हाथियों से कई प्रकार से भिन्न होते हैं, जिनमें सबसे स्पष्ट उनके बड़े कान होते हैं। अफ़्रीकी हाथी एशियाई हाथी से आकार में बड़े होते हैं और उनकी अवतल पीठ होती है। अफ़्रीकी हाथियों में नर और मादा दोनों के हाथीदांत होते हैं और उनकी त्वचा में बाल भी कम होते हैं। अमूमन, सवाना हाथी घास के खुले मैदानों, दलदल और झील के किनारे पाये जाते हैं। यह सवाना के पूरे क्षेत्र में पाये जाते है जो कि सहारा के दक्षिण में है। दूसरी तथाकथित जाति, अफ़्रीकी जंगली हाथी लॉक्सोडॉण्टा साइक्लॉटिस सवाना हाथी से आमतौर पर छोटा और गठीला होता है, तथा उसके हाथीदाँत पतले और कम घुमावदार होते हैं।

सन् 1980 के दशक में अफ़्रीकी हाथियों ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया क्योंकि अवैध शिकार के कारण पूर्वी अफ़्रीका में इनकी आबादी निरंतर घटती चली गई। आई॰यू॰सी॰एन॰ की सन् 2007 ई॰ की रिपोर्ट के मुताबिक, जंगली परिवेष में लगभग 4,70,000 से 6,90,000 के बीच में अफ़्रीकी हाथियाँ हैं। विशेषज्ञ यह मानते हैं कि असली आंकड़ा इससे अधिक नहीं होगा क्योंकि इसकी संभावना कम है कि इसके अलावा हाथियों की कोई बड़ी आबादी खोजी जायेगी।

एशियाई हाथी

दुनिया भर में एशियाई हाथियाँ जिन्हें भारतीय हाथी भी कहा जाता है, ये अफ़्रीकी हाथियों से छोटा होता है। इसके कान छोटे होते हैं और अधिकांश रूप से केवल नर में हाथीदाँत पाये जाते हैं। एशियाई हाथियों की आबादी 60,000 आंकी गई है जो अफ़्रीकी हाथियों का दसवां भाग है। अधिक सटीक यह अनुमान लगाया गया है कि एशिया में जंगली हाथी क़रीब 38,000 से 53,000 हैं तथा पालतू हाथी 14,500 से लेकर 15,300 हैं और तक़रीबन 1,000 हाथी दुनिया भर के चिड़ियाघरों में हैं। एशियाई हाथियों की कई उपजातियाँ मौर्फ़ोमीट्रिक तथा मौलिक्यूलर डाटा प्रणालियों द्वारा पहचानी गई हैं।

श्रीलंकाई हाथी या ऍलिफ़स मैक्सिमस केवल श्रीलंका के द्वीप में पाया जाता है। ये एशियाई हाथियों में सबसे बड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक इनकी जंगलों में संख्या 3000 से 4500 तक आंकी गई है, हालाँकि हाल में कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ है। बड़े नर हाथी 5400 कि॰ के लगभग वज़नी होते हैं तथा कंधे तक 3.4 मी॰ तक ऊँचे होते हैं। नरों के माथे पर बहुत बड़े उभार होते हैं और दोनों लिंगों में अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में रंजकता क्षीण होती है। विशेषतयः इनके सूंड़, कान, मुँह तथा पेट में हल्के ग़ुलाबी रंग के चित्ते पड़े होते हैं। पिन्नावाला, श्रीलंका में हाथियों का अनाथाश्रम है जो इनको विलुप्त होने से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

ऍलिफ़स मैक्सिमस इन्डिकस या भारतीय हाथी, एशियाई हाथियों की आबादी का बड़ा हिस्सा बनाता है। क़रीब 36,000 की आबादी वाले ये हाथियाँ हल्के स्लेटी रंग के होते हैं, तथा इनके केवल कानों और सूंड में रंजकता क्षीण होती है। बड़े नर अमूमन 5000 कि॰ वज़नी होते हैं लेकिन श्री लंकाई हाथी जितने ऊँचे होते हैं। मुख्य भू-भागीय हाथी भारत से लेकर इंडोनेशिया तक 11 एशियाई देशों में पाया जाता है। इनको जंगली इलाके परिवर्ती अंचल, जो कि जंगलों और घास के मैदानों के बीच होते हैं, पसन्द हैं क्योंकि वहाँ इनको भोजन में अधिक विविधता मिल जाती है।

ऍलिफ़स मैक्सिमस सुमात्रेनस, यह सुमात्रा का हाथी केवल सुमात्रा ही में पाया जाता है। यह भारतीय हाथियों से छोटा होता है। इनकी संख्या 2100 से 3000 के बीच आंकी गई है। यह भारतीय हाथियों से भी हल्के रंग का होता है और इसकी रंजकता अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में कम क्षीण होती है तथा सिर्फ़ कानों पर ग़ुलाबी धब्बे होते हैं। वयस्क सुमात्राई हाथी अमूमन कंधे तक केवल 1.7 से 2.6 मी॰ ऊँचा होता है तथा वज़न में 3000 कि॰ से कम होता है। यह केवल सुमात्रा द्वीप के उन क्षेत्रों में पाया जाता है जहाँ या तो जंगल हों या पेड़ों की झुरमुट हो।

बोर्नियो पिग्मी हाथी, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में नर हाथी सन् 2003 ई॰ में बोर्नियो द्वीप में एक अन्य उपजाति पहचानी गई है। इसको बोर्नियो पिग्मी हाथी के नाम से नवाज़ा गया है और अन्य एशियाई हाथियों की तुलना में यह ज़्यादा छोटा और कम आक्रामक होता है। इसके अपेक्षाकृत बड़े कान और पूँछ होते हैं और इसके हाथीदाँत भी अधिक सीधे होते हैं।

एशियाई हाथियों की आबादी का पतन अफ़्रीकी हाथियों की तुलना में धीरे हुआ है और इसके प्रमुख कारण हैं अवैध शिकार तथा मनुष्यों द्वारा उनके क्षेत्रों को हड़प जाना।

हाथी का प्रजनन

प्रजनन वर्ष के सभी समय में होता है, लेकिन संभोग संभवतः दिसंबर से मार्च की अवधि में अन्य समय की तुलना में अधिक होता है। दोनों लिंग 8 से 12 साल में परिपक्वता तक पहुंचते हैं, और मादा बुढ़ापे तक प्रजनन करती रहती है।

हाथियों के बारे में कुछ भी छोटा नहीं है, और उनकी गर्भधारण कोई अपवाद नहीं है। 110 किलोग्राम के बछड़े को जन्म देने से पहले, माताएं 22 महीने तक भ्रूण को गर्भ में रखती हैं, जो किसी भी स्तनपायी की सबसे लंबी गर्भधारण अवधि है।

अन्य जानवरों के विपरीत, हाथियों के पास आमतौर पर एक समय में केवल एक ही बच्चा होता है। हालाँकि, ऐसे मामले भी हैं जहां हाथियों के जुड़वाँ बच्चे हो सकते हैं, लेकिन ऐसा केवल हाथियों के जन्म के एक प्रतिशत मामलों में ही होता है।

हाथियों की संख्या

पिछले 60 वर्षों में, 4.5 मिलियन से अधिक हाथियों को मार दिया गया है और आज की स्थिति के अनुसार, अफ्रीका हर घंटे लगभग चार हाथियों को खो रहा है। पिछले 50 वर्षों में अफ्रीकी वन हाथियों की आबादी में 60% की कमी आई है, और पिछले 30 वर्षों में अफ्रीकी वन हाथियों की आबादी में 85% से अधिक की गिरावट आई है।

अवैध शिकार के कारण पूर्वी अफ़्रीका में इनकी आबादी निरंतर घटती चली गई। आई॰यू॰सी॰एन॰ की सन् 2007 ई॰ की रिपोर्ट के मुताबिक, जंगली परिवेष में लगभग 4,60,000 से 6,90,000 के बीच में अफ़्रीकी हाथियाँ हैं। हालाँकि यह आंकड़ा भी हाथियों के कुल आवासीय क्षेत्र का लगभग आधा हिस्सा ही समाविष्ट करता है।

वही दुनिया भर में एशियाई हाथियों की आबादी 60,000 आंकी गई है जो अफ़्रीकी हाथी का दसवां भाग है। अधिक सटीक यह अनुमान लगाया गया है कि एशिया में जंगली हाथी क़रीब 38,000 से 53,000 हैं तथा पालतू हाथियाँ 14,500 से लेकर 15,300 हैं और तक़रीबन 1,000 हाथियाँ दुनिया भर के चिड़ियाघरों में हैं। एशियाई हाथी की आबादी का पतन अफ़्रीकी हाथियों की तुलना में धीरे हुआ है और इसके प्रमुख कारण हैं अवैध शिकार तथा मनुष्यों द्वारा उनके क्षेत्रों को हड़प जाना।

पिछले दो दशकों में, संरक्षणवादियों का कहना है कि हाथियों की भौगोलिक सीमा में 30% की गिरावट आई है। अनुमान है कि एक सदी पहले, जंगल में 12 मिलियन से अधिक हाथी थे। आज, अनुमान है कि लगभग 400,000 से भी कम हाथियाँ बचे हैं।

भारत में इस समय हाथियों की कुल संख्या 30 हजार से ज्यादा होने का सरकारी अनुमान है। भारत में उपलब्ध 33 एलीफेंट रिजर्व 80777 वर्ग किलोमीटर में विस्तार लिए हुए हैं। साल 2017 की गणना के मुताबिक सबसे ज्यादा हाथी कर्नाटक में 6049 हैं। 5719 हाथियाँ असम तथा 3054 केरल में हैं।

हाथियों को खतरा

मानव जनसंख्या वृद्धि और विस्तार के कारण, हाथियों के आवास नष्ट या खंडित हो रहे हैं। वनों की कटाई, शहरीकरण और कृषि विस्तार के कारण प्राकृतिक आवास सिकुड़ रहे हैं, जिसका अर्थ है कि हाथियों के पास घूमने, भोजन के स्रोत खोजने और सामाजिक संरचनाएँ बनाने के लिए कम स्थान हैं। इससे मानव-हाथी संघर्ष भी बढ़ता है क्योंकि हाथी मानव बस्तियों पर अतिक्रमण करते हैं।

हाथियों की आबादी में गिरावट का एक महत्वपूर्ण कारण निवास स्थान का नुकसान है। इनके अलावा अवैध शिकारी हर साल हज़ारों हाथियों को उनके दाँतों के लिए मार देते हैं, जिन्हें हाथी दांत के रूप में बेचा जाता है। संरक्षण प्रयासों में गिरावट के कारण, हाथियों की आबादी पर लगातार खतरे बने हुए हैं। गिरावट के रुख को मोड़ने और हाथियों की आबादी को स्थिर करने और इन शानदार जानवरों की रक्षा के लिए बहुत काम करने की आवश्यकता है।

संरक्षण

अब तक 14 प्रमुख हाथी राज्यों में 33 हाथी रिजर्व स्थापित किए जा चुके हैं। ये हाथी रिज़र्व टाइगर रिज़र्व, वन्यजीव अभयारण्यों और आरक्षित वनों के साथ ओवरलैप होते हैं जो वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972, भारतीय वन अधिनियम, 1927 और अन्य स्थानीय राज्य अधिनियमों के तहत संरक्षित हैं।

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 , भारत में हाथियों की सुरक्षा के लिए स्पष्ट रूप से कानून बनाता है। राज्य वन विभाग प्रत्येक राज्य में जंगलों और वन्यजीवों की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से काम करता है और जंगली जानवरों से जुड़ी किसी भी अप्रिय घटना के मामले में पहला प्रतिक्रियाकर्ता बनता है।

हाथियों से जुड़े रोचक बातें

  • हाथी जमीन पर रहने वाला एक विशाल आकार का प्राणी है।
  • हाथी का गर्भ काल 22 महीनों का होता है।
  • जन्म के समय हाथियों का बच्चा क़रीब 104 किलो का होता है।
  • हाथी अमूमन 50 से 70 वर्ष तक जीवित रहता है।
  • आज तक का दर्ज किया गया सबसे विशाल हाथी सन् 1955 ई॰ में अंगोला में मारा गया था। इस नर का वज़न लगभग 10,900 किलो था।
  • सबसे छोटे हाथी यूनान के क्रीट द्वीप में पाये जाते थे और गाय के बछड़े अथवा सूअर के आकार के होते थे।
  • हाथियों का कोई प्राकृतिक परभक्षी नहीं होता है।
  • अफ़्रीकी हाथियाँ एशियाई हाथियों से आकार में बड़े होते हैं और उनकी अवतल पीठ होती है।
  • अफ़्रीकी हाथियों में नर और मादा दोनों के हाथीदांत होते हैं।
  • पिन्नावाला, श्री लंका में हाथियों का अनाथाश्रम है।
  • हाथी अपनी सूंड या तो चेतावनी देने के लिए या फिर मित्र अथवा शत्रु सूंघने के लिए उठाता है।
  • हाथी अपनी सूंड में एक बार में करीब 14 लीटर पानी खींच लेता है।
  • हाथियाँ भी बहुत अच्छा तैराक होता है। तैरते समय हाथी अपनी सूंड का इस्तेमाल स्नॉरकॅल की तरह करता है।
  • हाथीदाँत हाथी के जीवनकाल में निरन्तर बढ़ते रहते हैं। पूरी उम्र भर उनके 28 दाँत होते हैं।
  • एक हाथी कि त्वचा 2.5 सेंटीमीटर तक मोटी होती है।
  • हाथी बिना थके बहुत लंबे समय तक खड़े रह सकते हैं।
  • एक हाथी की लंबाई एशियाई हाथी: 5.5 – 6.5 मी. होता है।
  • हाथी के बच्चे को करभ या कलभ नाम से जाना जाता है।
  • हाथी एक दिन में करीब 4 से 5 घंटे के लिए सोता है।
  • दिनभर में हाथियाँ 50 से 60 लीटर तक पानी पी जाता है।
  • हाथी चींटियों और मधुमक्खियों से डरते हैं।
  • मादा हाथी का गर्भकाल काफी लंबा होता है, जो 680 दिन तक चलता है. यह दुनिया में किसी भी जानवर के मुकाबले काफी लंबा समय है।
  • हाथी भोजन और पानी की तलाश में रोजाना 10 से 20 किमी आसानी से चल जाते हैं।
  • हाथी अपनी सूंड के अंत में स्थित दो नासिका छिद्रों से सांस लेते हैं।
  • हाथी बिना आवाज किए कुछ पलों में 35 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ सकता है।
  • 5 किलोग्राम (11 पाउंड) से थोड़ा अधिक वजन के साथ, एक हाथी के मस्तिष्क का द्रव्यमान किसी भी अन्य ज़मीनी जानवर की तुलना में अधिक होता है।
  • अफ्रीकी हाथियाँ लगभग 20,000 पाउंड (9,000 किलोग्राम) तक वजन उठाने में सक्षम है।
  • 6,399 हाथियों के साथ कर्नाटक में भारत में सबसे अधिक आबादी है।
  • हाथियों की सूंघने की शक्ति बहुत ही तीव्र होती है। कहते हैं कि एक हाथी पानी की गंध को लगभग 4 से 5 किलोमीटर दूर से ही सूंघ लेता है।
  • जानवरों में हाथियों का दिमाग सबसे तेज होता है। हाथियों की स्मृति बहुत ही तेज होती है यह अपने हर साथी की पहचान कर उसके साथ बिताए हर दिन को याद रखते हैं।
  • हाथियों की सूंड में लगभग 150,000 मांसपेशी इकाइयाँ होती हैं।

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