Tiger : जंगल का अदृश्य साहसी सेनापति

Tiger : जंगल का अदृश्य साहसी सेनापति

अपनी माजेदार हरकतों और शानदार सौंदर्य से भरी जंगल की दुनिया में, टाइगर का राज सिर्फ उसकी बहादुरी ही नहीं, बल्कि उसकी अद्वितीय पहचान के साथ भी जुड़ा है। Tiger भारत का राष्ट्रीय पशु है जो अपनी प्रजाति में सबसे बड़ा और ताकतवर है। जो तिब्बत, श्रीलंका और अंडमान निकोबार द्वीप-समूह को छोड़कर एशिया के अन्य सभी भागों में पाया जाता है। टाइगर भारत, नेपाल, भूटान, कोरिया और इंडोनेशिया में अधिक संख्या में पाया जाता है। बाघ का वैज्ञानिक नाम “पेंथेरा टिग्रिस” (Panthera tigris) है। यह भारत का राष्ट्रीय पशु भी है।

टाइगर (Tiger)
जगत जीव – जन्तु
संघ
कॉर्डेटा (Chordata)
वर्ग
स्तनपायी (Mammalia)
गण
कार्नीवोरा (Carnivora)
कुल
फ़ेलिडी (Felidae)
जाति
पैंथरा (Panthera)
प्रजाति टाइग्रिस (tigris)
द्विपद नाम
पैंथरा टाइग्रिस (Panthera tigris)
वजन
90 – 310 किग्रा (पुरुष, वयस्क), 65 – 170 किग्रा (महिला, वयस्क)
जीवनकाल
10 – 15 वर्ष (जंगल में)
गति
49 – 65 किमी/घंटा (छोटे विस्फोटों में)
वैज्ञानिक नाम पेंथेरा टिग्रिस
खाता है
जंगली सूअर, सांभर, हिरण

 

Tiger भारत का राष्ट्रीय पशु है जो अपनी प्रजाति में सबसे बड़ा और ताकतवर है। जो तिब्बत, श्रीलंका और अंडमान निकोबार द्वीप-समूह को छोड़कर एशिया के अन्य सभी भागों में पाया जाता है। Tiger भारत, नेपाल, भूटान, कोरिया और इंडोनेशिया में अधिक संख्या में पाया जाता है। बाघ का वैज्ञानिक नाम “पेंथेरा टिग्रिस” (Panthera tigris) है। यह भारत का राष्ट्रीय पशु भी है।

सफ़ेद बाघों में सभी पूर्णत सफ़ेद नहीं होते, इनमें से लगभग सभी भारत में विंध्य और कैमूर पर्वत शृंखलाओं में पाए जाते हैं। काले Tiger के पाए जाने की भी ख़बर है, ये म्यांमार, बांग्लादेश और पूर्वी भारत के घने जंगलों में कभी-कभी पाए जाते हैं। बाघ घास वाले दलदली इलाक़ों और जंगलों में रहता है। यह महलों या मंदिरों जैसी इमारतों के खंडहरों में भी पाया जाता है। शक्तिशाली और आमतौर पर एकांत प्रिय यह विडाल एक अच्छा तैराक है और लगता है कि इसे नहाने में मज़ा आता है, विपत्ति में यह पेड़ पर चढ़ सकता है।

अक्सर पीछे से हमला करने वाला Tiger जंगल, दलदली क्षेत्र तथा घास के मैदानों के पास रहना पसंद है। बाघ सामान्यतः दिन में चीतल, जंगली सूअर और कभी-कभी गौर के बच्चों का शिकार करता है। Tiger अधिकतर अकेले ही रहता है। हर बाघ का अपना एक निश्चित क्षेत्र होता है। केवल प्रजननकाल में नर मादा इकट्ठा होते हैं। लगभग साढ़े तीन महीने का गर्भाधान काल होता है और एक बार में 2 से 3 शावक जन्म लेते हैं। बाघिन अपने बच्चे के साथ रहती है। Tiger के बच्चे शिकार पकड़ने की कला अपनी माँ से सीखते हैं। ढाई वर्ष के बाद ये स्वतंत्र रहने लगते हैं। इसकी आयु लगभग 19 वर्ष होती है।

Tiger कैसे दिखता है?

बाघ जंगल में रहने वाला मांसाहारी स्तनधारी पशु है। इसके शरीर का रंग लाल और पीला का मिश्रण है। इस पर काले रंग की धारियाँ पायी जाती हैं। वक्ष के भीतरी भाग और पाँव का रंग सफेद होता है। बाघ 13 फीट लम्बा और 300 किलो वजनी हो सकता है। अपने बड़े वजन और ताकत के अलावा बाघ अपनी धारियों से पहचाना जा सकता है। बाघ की अयाल नहीं होती, लेकिन बूढ़े नर के गाल के बाल अपेक्षाकृत लंबे और फैले हुए होते हैं। नर बाघ मादा से बड़ा होता है और इसकी कंधे तक की ऊँचाई क़रीब 1 मीटर, लंबाई लगभग 2.2 मीटर, पूंछ क़रीब 1 मीटर लंबी, और वज़न लगभग 160 से 230 किलोग्राम या ज़्यादा से ज़्यादा लगभग 290 किलोग्राम होता है।

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Tiger शिकार कैसे करता है?

Tiger की सुनने, सूँघने और देखने की क्षमता तीव्र होती है। धारीदार शरीर के कारण शिकार का पीछा करते समय वह झाड़ियों के बीच इस प्रकार छिपा रहता है कि शिकार उसे देख ही नहीं पाता। Tiger बड़ी एकाग्रता और धीरज से शिकार करता है। टाइगर बहुत तेज रफ्तार से दौड़ सकता है, लेकिन भारी-भरकम शरीर के कारण वह बहुत जल्द थक जाता है। इसलिए शिकार को लंबी दूरी तक पीछा करना उसके बस की बात नहीं है। वह छिपकर शिकार के बहुत निकट तक पहुँचता है और फिर एक दम से उस पर कूद पड़ता है। यदि कुछ गज की दूरी में ही शिकार को दबोच न सका, तो वह उसे छोड़ देता है। हर बीस प्रयासों में उसे औसतन केवल एक बार ही सफलता हाथ लगती है क्योंकि कुदरत ने बाघ की हर चाल की तोड़ शिकार बननेवाले प्राणियों को दी है।

बाघ आम तौर पर शिकार स्थल पर अपने शिकार को नहीं खाते हैं, बल्कि भोजन के लिए अपने शिकार को आश्रय में खींच लेते हैं। यदि कोई बाघ चला जाता है – मान लीजिए पानी पीने के लिए – तो वह अपने शिकार को पत्तों, मिट्टी, घास और यहां तक ​​कि पत्थरों को उखाड़कर शव के ऊपर छिपा देगा।

टाइगर क्या खाता है?

Tiger मुख्य रूप से हिरण का शिकार करते हैं, लेकिन अवसरवादी शिकारियों के रूप में, वे जंगली सूअर, पक्षी, मछली, कृंतक, उभयचर, सरीसृप और यहां तक ​​​​कि कीड़े भी खा सकते हैं। एक बड़ा हिरण एक बाघ को एक सप्ताह का भोजन प्रदान कर सकता है, लेकिन हर दस शिकार में से केवल एक ही सफल होता है। इसका आहार मुख्य रूप से सांभर, चीतल, जंगली सूअर, भैंसे जंगली हिरण, गौर और मनुष्य के पालतू पशु हैं।

क्या Tiger बोलते है?

Tiger वैसे इंसानों की तरह तो नही बोलते है, लेकिन बाघों का स्वर भंडार विशाल है, वे गरजते हैं, गुर्राते हैं, दहाड़ते हैं, कराहते हैं, फुफकारते हैं और हांफते हैं। ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक स्वर का उपयोग अलग-अलग चीजों को संप्रेषित करने के लिए किया जाता है।

इतिहास

Tiger का इतिहास बहुत पुराना है। जब टाइगर के इतिहास के बारे में अध्ययन किया गया तो पता चला कि बाघ के पूर्वजों के चीन में रहने के निशान हैं। आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और अमेरिका में एनसीआई लेबोरेट्री ऑफ जीनोमिक डाइवर्सिटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक 1970 में विलुप्त हो जाने वाले मध्य एशिया के कैस्पियन बाघ व रूस के सुदूर पूर्व में मिलने वाले साइबेरियाई या एमुर Tiger एक जैसे हैं। इस खोज से यह पता चलता है कि किस तरह बाघ मध्य एशिया और रूस पहुंचे।

आक्सफोर्ड के वाइल्ड लाइफ रिसर्च कंजरवेशन यूनिट के एक शोधकर्ता कार्लोस ड्रिस्काल के अनुसार विलुप्त कैस्पियन और आज के साइबेरियाई बाघ सबसे नजदीकी प्रजातियां हैं। इसका मतलब है कि कैस्पियन Tiger कभी विलुप्त नहीं हुए। अध्ययन के हवाले से कहा गया है कि 40 साल पहले विलुप्त हो गए कैस्पियन बाघों का ठीक से अध्ययन नहीं किया जा सका था। इसलिए हमें डीएनए नमूनों को फिर से प्राप्त करना पड़ा।

एक अन्य शोधकर्ता डॉ॰ नाबी यामागुची के अनुसार मध्य एशिया जाने के लिए कैस्पियन बाघों द्वारा अपनाया गया मार्ग हमेशा एक पहेली माना जाता रहा हैं। क्योंकि मध्य एशियाई Tiger तिब्बत के पठारी बाघों से अलग नजर आते हैं। लेकिन नए अध्ययन में कहा गया है कि लगभग 10 हजार साल पहले बाघ चीन के संकरे गांसु गलियारे से गुजरकर भारत पहुंचे। इसके हजारों साल बाद यही मार्ग व्यापारिक सिल्क रूट के नाम से विख्यात हुआ।

प्रजातियाँ

भारत के Tiger को एक अलग प्रजाति माना जाता है, जिसका वैज्ञानिक नाम है पेंथेरा टाइग्रिस टाइग्रिस। बाघ की नौ प्रजातियों में से तीन अब विलुप्त हो चुकी हैं। ज्ञात आठ किस्‍मों की प्रजाति में से रायल बंगाल टाइगर उत्‍तर पूर्वी क्षेत्रों को छोड़कर देश भर में पाया जाता है और पड़ोसी देशों में भी पाया जाता है, जैसे नेपाल, भूटान और बांगलादेश। पहले बाघ की प्रजाति कुल 8 थी, जिनमें से अब 5 ही बची हैं। जो इस प्रकार है।

  1. टीग्रीज (पेंथेरा टाइग्रिस) – भारतीय या बंगाल टाइगर सबसे पॉपुलर है। जो अधिकतर पूर्वी भारत और बांग्लादेश के सुंदरवन के मंग्रोव फॉरेस्ट में रहते हैं। कुछ भूटान, म्यांमार और नेपाल में रहते हैं। इस प्रजाति के नर टाइगरों का वज़न क़रीब 227 किलो और मादा टाइगरों का वजन क़रीब 137 किलो होता है। सफ़ेद टाइगर नर की श्रेणी का होता है। यह लुप्तप्राय की श्रेणी में आता है।
  2. पी.टी. कोर्बेटाई या भारतीय चीनी बाघ – इस प्रजाति के Tiger मुख्यतः थाईलैंड में पाए जाते हैं लेकिन म्यांमार, दक्षिण चीन, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम और मलेशिया में भी हैं। ये बंगाल टाइगर्स से आकार में छोटे और गहरे होते हैं। ये नर बाघ का वज़न क़रीब 182 किलो और मादा का क़रीब 137 किलो होता है। नर 9 फुट लंबे और मादा 8 फुट लंबी होती हैं। यह भी लुप्तप्राय हैं।
  3. पी.टी. सुमात्राई या सुमात्राई बाघ – इस प्रजाति के Tiger सबसे छोटे और गहरे होते हैं, लाल रंग के और इनके शरीर पर पास-पास धारियाँ होती हैं। इनका वज़न 114 किलो होता है। ये सुमात्रा में पाए जाते हैं। ये भी लुप्तप्राय हैं।
  4. साइबेरियन (एलटेशिया) – इस प्रजाति के टाइगर सबसे ऊँचे होते हैं। इनका वज़न 307 किलो और ऊँचाई 11 फुट होती है। रिकॉर्ड में अब तक सबसे भारी साइबेरियन बाघ 466 किलो का रहा है। ये मुख्यतः उत्तरी-पूर्व रूस के इलाके में पाए जाते हैं। ये 33 फुट ऊँची छलांग लगा सकने की क्षमता वाले होते हैं। ये भी खतरे में हैं।
  5. जवन (सोनडायका) – इस प्रजाति के Tiger जावा में कभी पाए जाते थे। 1972 में अंतिम बार दिखने वाले इन बाघों को लुप्त मान लिया गया है।
  6. दक्षिणी चीन (एमोयेनसिस) – टाइगर के ये प्रजाति चीन के चिड़ियाघरों में ये बचे हैं और कुछ वहाँ के जंगलों में। चीन के मध्य और पूर्वी हिस्से में पाए जाते हैं। ये भी खतरे में हैं।
  7. कैस्पियन (वरगाटा) – तुर्की से एशिया के केंद्रीय हिस्से तक विचरने वाले ये टाइगर्स ईरान, मंगोलिया और केंद्रीय रूस तक दिखते थे। 1950 वें दशक के बाद ये दिखे ही नहीं।
  8. बाली (बलिका) – बाली द्वीप पर रहने वाले अंतिम बाली टाइगर को 1937 में मार दिया। ज़िंदा बाली टाइगर की तो कोई तस्वीर ही नहीं है।

संख्या

Tiger की संख्या लगातार कम हो रहा है। इसमें कई प्रजातियां तो ऐसे भी जो विलुप्त हो चुके है। वही कई प्रजाति खतरे में है, और मानवों के बीच संघर्ष भारी जिंदगी जी रहा है। हालांकि भारत मे पिछले कुछ वर्षों में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

भारत मे अभी कितने टाइगर है?

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2018 और 2022 के बीच बाघों की आबादी में 23.5 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है। साल 2006 में अपने देश में बाघों की संख्या 1,411 थी, जोकि साल 2018 में बढ़कर 2,197 हो गई। जंगल में अब Tiger की प्रजाति की संख्या 3,682 हो गई है। यह बाघों का 75% हिस्सा है और शुरू में अनुमानित 3,167 से अधिक है। राज्य-वार अनुमान के अनुसार, लगभग 80% बाघ अब 18 राज्यों में से आठ में रहते हैं, जिनमें मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और असम शामिल हैं।

मध्य प्रदेश में बाघों की सबसे अधिक संख्या 785 है, इसके बाद नंबर आता है कर्नाटक का, जहां 563 बाघ हैं और महाराष्ट्र में 444 हैं। मध्य भारतीय और पश्चिमी घाट परिदृश्य ने कुल संख्या में 2,526 बाघों का योगदान दिया है, जिससे वे दुनिया में सबसे घने बाघ क्षेत्र बन गए हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में चिंताजनक रुझान भी देखा गया है। मिजोरम, नागालैंड, झारखंड, गोवा, छत्तीसगढ़ और अरुणाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में बाघों की आबादी कम होने की सूचना मिली है। कुछ बाघ अभयारण्यों सहित कई क्षेत्रों में स्थानीय बाघों की आबादी विलुप्त हो गई है।

प्रजनन

एक Tiger नर और मादा बाघ दोनों के जीवनकाल में कई साथी हो सकते हैं। उष्णकटिबंधीय जलवायु में, मादाएं पूरे वर्ष मद में आ सकती हैं, हालांकि संभोग सबसे ठंडे महीनों (नवंबर से अप्रैल) के दौरान अधिक बार होता है। समशीतोष्ण क्षेत्रों में, मादाएं मद में प्रवेश करती हैं और केवल सर्दियों के महीनों के दौरान संभोग करती हैं। Tiger मादाएं लगभग 3 से 4 साल की उम्र में यौन परिपक्वता तक पहुंच जाती हैं और नर लगभग 4 से 5 साल की उम्र में परिपक्व हो जाते हैं। एक मादा बाघ हर तीन से नौ सप्ताह में एस्ट्रस अर्थात उस समय जब मादा ग्रहणशील होती है और गर्भधारण करने में सक्षम होती है में प्रवेश कर सकती है, और उसकी ग्रहणशीलता तीन से छह दिनों तक रहती है।

महिलाएं संभोग के लिए अपनी तत्परता का विज्ञापन करती हैं। मद में प्रवेश करने से कुछ दिन पहले, मादा एक विशिष्ट गंध वाले मूत्र के साथ अपनी सीमा को अधिक बार सुगंधित करेगी। मद के दौरान, मादा नर को आकर्षित करने के लिए पूरे दिन बार-बार आवाज़ निकाल सकती है। Tiger आमतौर पर एक-दूसरे के चारों ओर चक्कर लगाकर और आवाज लगाकर अपना प्रेमालाप शुरू करते हैं। मैथुन संक्षिप्त होता है और पाँच या छह दिनों तक बार-बार दोहराया जाता है। मादा बाघ प्रेरित ओवुलेटर होती हैं, जिसका अर्थ है कि संभोग की क्रिया मादा को निषेचन के लिए एक अंडा जारी करने का कारण बनती है। ओव्यूलेशन को उत्तेजित करने और अंडे के निषेचन की गारंटी के लिए कई दिनों की संभोग बातचीत की आवश्यकता हो सकती है।

खतरा

बाघों की शेष आबादी के लिए अवैध शिकार सबसे बड़ा तात्कालिक खतरा है। शिकार, अवैध शिकार और अवैध व्यापार एक हजार से अधिक वर्षों से, बाघों का शिकार स्टेटस सिंबल, दीवार और फर्श जैसी सजावटी वस्तुओं, स्मृति चिन्ह और वस्तुओं के रूप में और पारंपरिक एशियाई दवाओं में उपयोग के लिए किया जाता रहा है।

बड़े पैमाने पर आवास का क्षरण और घटती शिकार आबादी देश में बाघों के अस्तित्व के लिए प्रमुख दीर्घकालिक खतरा हैं। सौ साल से भी कम समय पहले, Tiger पूरे भारत और उपमहाद्वीप में घूमते थे। लेकिन बढ़ती मानव आबादी, विशेष रूप से 1940 के दशक के बाद से, Tiger की पूर्व सीमा सिकुड़ गई है और खंडित हो गई है। हालाँकि कुछ परिदृश्यों में व्यापक निवास स्थान उपलब्ध है, कृषि, विकास के लिए जंगलों की सफ़ाई – विशेष रूप से सड़क और रेल नेटवर्क, जल विद्युत परियोजनाएँ बाघों को शेष निवास स्थान के छोटे और बिखरे हुए द्वीपों में जाने के लिए मजबूर कर रही हैं। बाघों को बड़े क्षेत्रों की आवश्यकता होती है। और आवास के साथ-साथ, बाघों को प्रमुख आवासों में प्राकृतिक शिकार आबादी का भी गंभीर नुकसान हुआ है।

Tiger तेजी से मनुष्यों के साथ संघर्ष में आ रहे हैं क्योंकि वे घरेलू जानवरों पर हमला करते हैं – और कभी-कभी मानव-वर्चस्व वाले स्थानों से गुजरते समय लोगों पर भी हमला करते हैं। प्रतिशोध में, गुस्साए ग्रामीणों द्वारा अक्सर बाघों को मार दिया जाता है।

संरक्षण

Tiger एक अत्यंत संकटग्रस्त प्राणी है। इसे वास स्थलों की क्षति और अवैध शिकार का संकट बना ही रहता है। पूरी दुनिया में उसकी संख्या 6000 से भी कम है। Tiger की नौ प्रजातियों में से तीन अब विलुप्त हो चुकी हैं। ज्ञात आठ किस्‍मों की प्रजाति में से रायल बंगाल टाइगर उत्‍तर पूर्वी क्षेत्रों को छोड़कर देश भर में पाया जाता है और पड़ोसी देशों में भी पाया जाता है, जैसे नेपाल, भूटान और बांगलादेश। भारत में बाघों की घटती जनसंख्‍या की जांच करने के लिए अप्रैल 1973 में प्रोजेक्‍ट टाइगर (बाघ परियोजना) शुरू की गई। अब तक इस परियोजना के अधीन बाघ के 27 आरक्षित क्षेत्रों की स्‍थापना की गई है जिनमें 37,761 वर्ग कि॰मी॰ क्षेत्र शामिल है।

रोचक बातें

  • टाइगर धरती पर लगभग 2 मिलियन वर्ष पहले से है।
  • 2022 की जनगणना के अनुसार विश्व में बाघों की कुल आबादी लगभग 4500 है।
  • Tiger के मुंह में शिकार करने के लिए होते हैं तीन तरह के दांत होते है इनकी संख्या करीब 26 होती है।
  • बाघिन 105 दिन में बच्चों को जन्म देती हैं।
  • आमतौर पर बाघिन एक बार में तीन से चार बच्चे को जन्म देती है।
  • कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या सबसे अधिक है, जिसमें रिजर्व के अंदर 252 और रिजर्व का उपयोग करते हुए 266 बाघ हैं।
  • Tiger की जीभ इतनी मजबूत होती है कि वह दीवार से पेंट हटा सकती है।
  • बाघ शावक की आंखें जन्म के लगभग छह से बारह दिन बाद खुलती हैं।
  • Tiger की औसत आयु 20 से 25 साल होती है।
  • बाघ 65 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड़ से दौड़ सकता है।
  • बाघों के कैनाइन दांत 2.5-3 इंच लंबे होते हैं – जो किसी भी अन्य शिकारी की तुलना में अधिक लंबे होते हैं।
  • Tiger प्रतिदिन 20 गैलन तक पानी पी सकते हैं।
  • भरपेट भोजन करने के बाद टाइगर 30 घंटे सोता है

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